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साईं भजन

मैं साईं साईं गाऊं।
चरणों में शीश नवाऊं।।
साईं में ध्यान लगाऊं।।
मैं साईं मय हो जाऊं।।
मैं साईं साईं गाऊं।
मैं राग-द्वेष सब छोड़ूं।
साईं से नाता जोड़ूं।
निंदा में लिप्त रहूं क्यों?
मैं साईं साईं भज लूं।।
मेरा मन निर्मल हो जाए।
आनन्द में डूबा जाए।
मैं निर्विकार हो जाऊं।
बस साईं साईं गाऊं।।
ना ही भविष्य की चिंता हो।
ना ही अतीत का भय हो।।
बस वर्तमान को जिऊं।
बस साई कहता जाऊं।
मैं साईं में रम जाऊं।।
मैं साईं साईं गाऊं।।
ना ही अब चाह किसी की,
ना ही खोने का भय है।
पथ,पुष्प का हो, या कांटों का,
या फिर पथ अग्निमय हो।
जब साथ में मेरे साईं।
फिर मैं क्यों भला घबराऊं।।
मैं साईं साईं गाऊं।।
मैं साईं मय हो जाऊं।।
मैं साईं में खो जाऊं।।
मैं साईं मैं रम जाऊं।।
मैं साईं साईं गाऊं।।
समाप्त
हिमांशु पाठक
हल्द्वानी, नैनीताल
उत्तराखंड
संपर्क सूत्र 7669481641

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7 Comments

Rupesh Kumar

21-Jan-2024 05:46 PM

Nice one

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Gunjan Kamal

18-Jan-2024 02:52 PM

👏👌

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Shnaya

17-Jan-2024 10:13 PM

Nice

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